भारतीय कानून की धारा 19
भारतीय कानून की धारा 19 महिला के पास ससुराल के 'साझा घर' में रहने का अधिकार देती है। यह धारा महिलाओं को उनके ससुराल के 'साझा घर' में रहने का पूरा अधिकार प्रदान करती है। यह धारा उन सभी महिलाओं को शामिल करती है जिनका विवाह हुआ है और वे अपने पति के साथ रहती हैं। चाहे वह महिला तलाकशुदा हो, विवाहित हो या विधवा हो।
हिन्दू धर्म कानून के अनुसार
हिन्दू धर्म कानून के अनुसार भी, महिला के पास ससुराल के 'साझा घर' में रहने का अधिकार होता है। इसे 'मायका' भी कहा जाता है। इसके अलावा, यदि महिला के पास अपना अलग से मकान नहीं होता है, तो उसे अपने ससुराल में रहने का अधिकार होता है।
मुस्लिम कानून के अनुसार
मुस्लिम कानून के अनुसार भी, महिला के पास ससुराल के 'साझा घर' में रहने का अधिकार होता है। यहां तक कि उसे अपने पति से तलाक होने के बाद भी उसके ससुराल में रहने का अधिकार होता है।
विवाहित महिलाओं के अधिकार
विवाहित महिलाओं को उनके ससुराल में रहने का पूरा अधिकार है। यह अधिकार उनके पति की मौत के बाद भी बना रहता है। यदि उनके पति की मौत हो जाती है, तो वे अपने ससुराल में ही रह सकती हैं।
तलाकशुदा महिलाओं के अधिकार
तलाकशुदा महिलाओं के पास भी अपने ससुराल में रहने का अधिकार होता है। वे अपने पूर्व पति के घर में रह सकती हैं यदि उनके पास खुद का घर नहीं होता।
विधवा महिलाओं के अधिकार
विधवा महिलाओं के पास भी अपने ससुराल में रहने का अधिकार होता है। उनके पति की मृत्यु के बाद, वे उनके ससुराल में ही रह सकती हैं। वे अपने ससुराल में रहने का अधिकार खो देती हैं यदि वे पुन: विवाह करती हैं।
महिलाओं की सुरक्षा
भारतीय कानून ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस तरह के अधिकार प्रदान किए हैं। यह कानून महिलाओं को अपने ससुराल में रहने की सुरक्षा प्रदान करते हैं।
अधिकारों का उल्लंघन
यदि कोई भी व्यक्ति इन अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसके लिए महिला को पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवानी होती है।
महिला के ससुराल में रहने के अधिकार में अंतर्राष्ट्रीय मान्यता
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी, महिला के ससुराल में रहने का अधिकार मान्य है। यूनाइटेड नेशन्स के अनुसार, महिला को उसके ससुराल में रहने का पूरा अधिकार होता है।
निष्कर्ष
सो, यह स्पष्ट है कि महिला के पास ससुराल के 'साझा घर' में रहने का अधिकार है। यह अधिकार भारतीय कानून, हिन्दू धर्म कानून, मुस्लिम कानून और अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा समर्थित है। इसलिए, महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक रहना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए।
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