आईपीएस प्रोबेशनर्स: क्या हैं और कैसे बनें?

अगर आप सिविल सेवा में रुचि रखते हैं और सुनहरी नौकरी चाहते हैं, तो "आईपीएस प्रोबेशनर" शब्द आपके दिमाग में आ चुका होगा। आसान शब्दों में कहा जाए तो प्रोबेशनर वह अधिकारी है जो आयु सीमा, लिखित परीक्षा और इंटरव्यू पास कर के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में प्रवेश करता है, लेकिन अब भी पूरी तरह से सेवा में नहीं हुआ होता। यह चरण लगभग दो साल का होता है, जहाँ उन्हें विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों से गुज़रना पड़ता है।

भर्ती प्रक्रिया और चयन

आईपीएस प्रोबेशनर बनने के लिए सबसे पहले संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा पास करनी होती है। इस परीक्षा में तीन चरण होते हैं: पत्र लेखन, मौखिक परीक्षा और इंटरव्यू। अंक अच्छी तरह से आने पर उम्मीदवार को सेवा गाइडलाइन के अनुसार आवंटित किया जाता है। आयु सीमा 21 से 32 साल तक है, और शिक्षा की न्यूनतम आवश्यकता किसी भी मान्य विश्वविद्यालय से स्नातक होना चाहिए।

एक बार चुने जाने के बाद, उम्मीदवार को राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (NPA), नई दिल्ली में भेजा जाता है। यहाँ दो साल का मूलभूत प्रशिक्षण चलता है, जिसमें शारीरिक फिटनेस, कानून, प्रबंधन, नेतृत्व, सामाजिक विज्ञान और साइबर सुरक्षा जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। इस दौरान प्रॉबेशनर को विभिन्न राज्य पुलिस बलों में घुमाया भी जाता है, ताकि वास्तविक परिस्थितियों का अनुभव मिल सके।

प्रॉबेशन期間 में काम और चुनौतियां

प्रॉबेशनर को अक्सर छोटे शहरों या ग्रामीण क्षेत्रों में असाइन किया जाता है। यहाँ उन्हें जनशक्ति प्रबंधन, आपराधिक जांच, स्थानीय प्रशासनिक कार्य और सामुदायिक सहभागिता जैसे काम करने होते हैं। काम का दबाव ज्यादा हो सकता है, लेकिन यही असली सीख है। अक्सर उन्हें नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है—जैसे विरोधी समूहों से सामना, प्राकृतिक आपदाओं में मदद, या सामाजिक तनाव का समाधान।

इन सभी अनुभवों का उद्देश्य प्रॉबेशनर को एक सक्षम पुलिस अधिकारियों में बदलना है। प्रशिक्षण के अंत में एक मूल्यांकन होता है, जिसमें लिखित परीक्षा, फिजिकल टेस्ट और प्रदर्शन रिपोर्ट शामिल होते हैं। अगर सब ठीक रहता है, तो प्रॉबेशनर को स्थायी पद पर स्थायीत्व मिल जाता है और वह **ऑफिसर** बन जाता है।

कई बार प्रोबेशनर को अतिरिक्त कोर्स जैसे फॉरेन लैंग्वेज, साइबर क्राइम या टेररिज़्म डिफेंस की भी जरूरत पड़ती है। इन कोर्सों से उनका प्रोफ़ाइल और भी मजबूत हो जाता है, जिससे भविष्य में तेज़ प्रगति संभव होती है।

यदि आप IPS प्रोबेशनर बनना चाहते हैं तो कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखें:

  • शारीरिक फिटनेस को रोज़ाना बनाए रखें—बीजेसन, दौड़, जिम।
  • किसी भी लिखित परीक्षा के लिए वर्तमान घटनाओं को पढ़ें—अखबार, मैगज़ीन, ऑनलाइन पोर्टल।
  • इंटरव्यू में आत्मविश्वास दिखाएँ, पर साथ ही ईमानदार भी रहें।
  • समय प्रबंधन सीखें, क्योंकि प्रशिक्षण और असाइनमेंट दोनों ही कड़े होते हैं।
  • सामाजिक कौशल विकसित करें, क्योंकि जनसमुदाय से बातचीत आपका बड़ा काम है।

समाप्ति में कहना चाहूँगा कि IPS प्रोबेशनर बनना सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा में योगदान देने का मौका है। अगर आप प्रतिबद्ध, मेहनती और समाजसेवी हैं, तो इस राह पर चलने में कोई बाधा नहीं। तो तैयार हो जाइए, पढ़ाई में लगिए और अगले दो साल की चुनौती को अपने भविष्य की मजबूत नींव बनाइए।

सोशल मीडिया से दूर रहें: अमित शाह ने आईपीएस प्रोबेशनर्स को

सोशल मीडिया से दूर रहें: अमित शाह ने आईपीएस प्रोबेशनर्स को

मीनाक्षी रस्तोगी मई. 1 0

आज के इस ब्लॉग में हम बात करेंगे अमित शाह जी के एक बहुत ही महत्वपूर्ण विचार के बारे में, जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया से दूर रहने की सलाह दी है। अमित शाह जी ने आईपीएस प्रोबेशनर्स को सोशल मीडिया से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा कि यह उनके काम में ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा। उन्होंने इसे अपने व्यक्तिगत और प्रोफेशनल जीवन के लिए अच्छा माना। अमित शाह जी का यह विचार सोशल मीडिया की बढ़ती हुई असर को समझते हुए एक सावधानी नियम के रूप में भी लिया जा सकता है। वे समझते हैं कि सोशल मीडिया का उपयोग करते समय हमें सतर्क और चुनिंदा होना चाहिए। इस सलाह का पालन करके, आईपीएस प्रोबेशनर्स और भविष्य के अधिकारी अपने करियर और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बना सकते हैं।

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